गुरुवार, 14 मई 2009

वो बच्चा जो उस मस्जिद में खेल रहा है,
अपनी मासूम दुनिया में गम है,
जो बड़े लोगो की दुनिया से अनजान है,
जिसकी दुनिया में बेपरवाही, बफिक्री नेमत हैं,
जिसके लिए मोहब्बत दीन हैं,
जिसकी भाषा में नफरत शब्द ही नही हैं ,
जुबान में जिसके पीर की तासीर हैं,
जो सम्प्रदायवाद क्या कोई भी वाद को नही जानता हैं,
जो दहशतवाद को नही पहचानता हैं,
जिसके लिए पीपल का पेड़ आसमान की सीढ़ी हैं,
जिसके लिए होली रंगों का तिहार हैं,
जिसके लिए ईद मिठाई का तिहार हैं,
एक दिन मस्जिद की दीवार से लगकर सीढियों पर चढ़ रहा था,
सोच रहा था अपने नन्हे हाथो से आज,aa
आसमान को छू लेगा,
अचानक एक बम फटा,
और वो बच्चा खुदा के पास था,
नीचे ज़मीन की तरफ देख रहा था ,
और ठहाके लगा कर ज़ोर से हंस रहा था,
कह रहा था बम पर मज़हब लिखा था,
पूछ रहा था इंसानों से एक सवाल,
मज़हब तो खुदा का रास्ता बताता है,
तो क्या बम हिंदू और मुसलमान बनाता हैं ?

13 टिप्‍पणियां:

स्वाति ने कहा…

मज़हब तो खुदा का रास्ता बताता है,
तो क्या बम हिंदू और मुसलमान बनाता हैं ?

वाह नफीस जी ,
अच्छी और संवेदनशील कविता .. लिखते रहिये ...

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

very fine poem nafees bhai,you have put your heart in .this is high time to speak this from front to save countrys harmony and peace.
best wishes.pl keep writing.
regards
dr.bhoopendra

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है नफ़ीस भाई!
बधाई! संवेदना के इस स्तर का स्पर्श करने के लिये।

shama ने कहा…

Subah pehlee cheez...aapke khayalat padhe...behsd chain mila,ki koyi to aisa sochta hai..aur phir abhiwyakt bhi karta hai..
Apni ek rachnake shabd yaad aa gaye..
" kya mar gaye sab insaan?
bach gaye sirf Hindu yaa Musalmaan?"

Mere 13 bolgs hain,unmese :

http//kavita-thelightbyalonelypath.blogspt

is blogpe kavitayen hain..waise na mai kavi hun na lekhika...

उम्मीद ने कहा…

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

गार्गी

Sanjay Grover ने कहा…

हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर

नदीम अख़्तर ने कहा…

बहुत शानदार रचना है। मैं तारीफ के लिए शब्द नहीं ढूंढ पाया...। लिखते रहिए बहुत सुन्दर....

ALBELA KHATRI ने कहा…

bhai........badhai

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

wah kya bat hai, narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

बहुत सुंदर.हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत करें।

Yamini Gaur ने कहा…

well done....

raju ने कहा…

me na kahta tha ke jajbat nahi jine denge, ye sabo roj ke SADMAT nahi jine denge, ab to takdir ke hatho se buch bhi gaya to, apke shyari ke ye andaz nahi jine denge.

bhut khub nafis bhai,sabhi insanoo ka khoon aur jajbat ek hee hote hai..app chalte rahe ekele nahi rahenge.

PRADEEP ने कहा…

nafis bbhai

really pungent keep it up
pradeep sharma