मेरी अभिव्यक्ति
समाज की बौद्धिक चिंतन का आईना
शुक्रवार, 28 सितंबर 2018
ज़िंदगी अपने तलाश में निकाल पड़ी हैं, नहीं मालूम मंज़िल क्या हैं पर हाँ रास्ता मज़ेदार ज़रूर हैं, सायादार पेड़ रास्ते पे पड़े न पड़े लेकिन हमसफर तो मिलते ही रहेंगे। अपना ख़्याल रखिए बहुत जल्दी फिर मुलाकात होगी।
@ नफीस
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